Sunday, 31 December 2017

नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ ।

🔚साल बदल रहा है ।बीते पल  के जहाँ कड़वाहट भरे पल दुःखी कर देते हैं तो वही सुखद पल इस साल को याद कर एक सुकून प्रदान करते हैं । मन गलतियों को सुधारने की मन ही मन शपथ लेता है पर एक साल बीतते बीतते हम पुनः कई अलग प्रकार की  गलतियाँ कर बैठते हैं ।इसी प्रकार  साल दर साल  बदल रहा है ।
   🌚🕛⏳साल बदल रहा है और हम भी बदल रहे हैं ।हमारे साथ  धरती आसमान प्रकृति और पर्यावरण सब में  बदलाव हो रहा है । ईश्वर के इस नियति को हम स्वीकार  कर निरन्तर आगे बढ़ रहे हैं ।👋🎎
उपरोक्त बातें  सब जानते हैं । मन खुश हो तो बातें अच्छी एवं सुकून देने वाली होती हैं और मन दुखी हो तो सामान्य सी बातें भी मन को  दुःखी कर जाती हैं।
सब रिश्तों को  पहचानते हैं पर मन पर हम अक्सर हम स्वयं हारते और जीतते हैं । हर मनुष्य का भाग्य विधाता की देन है । कर्म मानव का खुद का गढा हुआ भाग्य है।✊👊💺
चलिए । कोई  बात नहीं ।अब  मनःस्थिति को समझने की  कोशिश करने का प्रयत्न तो नववर्ष में करें । सुंदर एवं सार्थक प्रयास हमें  सुकून देंगी ।  कमियों को  नजरअंदाज कर  अच्छे पलों को जीवन से जोड़े रखें ।
आने वाले नववर्ष   पर भगवान की कृपा बनी रहे ।
🚻🕉 ⛤ भ से भगवान ऐसे ही  सरूप लिए  भैया भाभी, ग से  गुरु  अर्थात  समस्त  गुरुजन , व से वात्सल्य सरूपा नन्हे- नन्हे बच्चे👭👬👫 तथा न सरूपा समस्त  नर और नारी  💑को आने वाले वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ ।🎂
  📣बीता हुआ  कल  बीत गया यह सुकून है ।
आने वाला कल बेहतर होगा यही जुनून है ।🔊
शुभकामनाओं के साथ 👈🙏🙏✍

नूतन सवेरा नया पैगाम लाया है
नववर्ष का नया उपहार लाया है
मिटाकर गिले शिकवे साथी
आगे बढ़ें संदेश लाया है।

Sunday, 10 December 2017

साथी

मुझको मेरे नाम बुलाये
   नाम  बुला कर याद  दिलाये
बचपन में मुझको ले जाए
साथी मेरा वो कहलाए।

अमिया इमली स्वाद चखाए
नदिया ताल पहाड़  घुमाए
पेड़ की ऊॅची डाल  चढ़ जाए
जामुन बेर नीचे टपकाए
साथी मेरा वो कहलाए।

लड़कर भी जो चैन नहीं पाए
तीखी  वाणी से बेधते जाए
पर नजरें  मुझपर ही जमाये
मान भी जाओ बोल न पाए
साथी मेरा वो कहलाए।

बुरे वक्त का सच्चा  साथी
झूठ को सच में बदले साथी
भाग्यवान ही साथी पाए
साथ  रहेंगे सदा कहता जाए
साथी मेरा वो कहलाए।

सुख में वो संग में  इतराए
रूत बदले पर वो संग आए
दोस्त बन दीपक जलाए
अंधियारा को वो मिटाये
साथी मेरा वो कहलाए।

Sunday, 3 December 2017

नया साल

गया पुराना साल नया साल  आएगा
लेकर नया तराना नया साल आएगा  ।

नये वर्ष से  नयी उम्मीदे, सबकुछ  सुंदर सुमधुर हो
जो बीत गया हो भूल उसे नूतन करने का अवसर हो
ऐसा रूप अनूप बनाये हर दिन आएगा ।
लेकर नया तराना नया साल आएगा  ।।

गर आए संघर्ष कभी तो हिम्मत उससे दूनी हो
बाधाएँ चाहे जैसी हो मन के भाव जुनूनी हो
बनकर नैया पार कराने साल आएगा ।
लेकर नया तराना नया साल आएगा  ।।

बिछुड़े मिल जाएँ अपनों से दूरी पास बने फिर से
फूलों सा कोमल हो जीवन खुशबू बिखरे जीवन में ।
सबकुछ प्यारा प्यारा लेकर साल आएगा ।
लेकर नया तराना नया साल आएगा  ।।

Saturday, 11 November 2017

क्या भूलूॅ क्या याद करूँ

क्या भूलूँ क्या याद करूँ
जीवन से होकर निराश
थक गए कदम
अगणित कड़वे खट्टे  अनुभव
पाषाण कर गयी ह्रदय
उभरी लकीर स्पष्ट अनगिनत
कहती मन की  व्यथा सहज
है विवश यह प्राण आन
मौन साधे मजबूर
सबकुछ  यकायक  बदल गया
संस्कार कहीं  खो गए
संस्कृति भटक रही
अपनी पहचान की खोज में
अपने पराये हो गये
बूढ़े  अनाथ और  असहाय
बच्चों का बचपन  डिजिटल होकर रह गया
सब अस्त व्यस्त  त्रस्त हैं
पाने की खोज में
खोते जा रहे हैं
पर एक आस बँधी है
कभी कोई आएगा
नवयुग का नवप्रवर्तक बनकर
फिर से भारत का नवनिर्माण करने।


Thursday, 2 November 2017

चाँद

उतरा  गगन में  चाँद अपने  शबाब में
धरती भी झूमती है इसे देख  अदा में ।
लहरें भी  उफनती हुई अम्बर को छू रही
साकी नशे में  झूमे  जैसे  मयकदा में ।
सबकुछ है स्निग्ध शांत नहीं भी कहीं  हलचल
बस दिल नहीं  है बस में खयाल- ए-जहाँ  में ।
चंदा को  देख  चांदनी इतरा रही है  आज
पूनम की  रात  छा गई  है आसमान में ।
है दाग चाँद में मगर पूनम का साथ है
मिलकर चमक रहे हैं दोनों  याराना में ।

Saturday, 30 September 2017

आस्था

बज रहे नगाड़े ढोल
मन हुआ  अनुरागी
शांत स्निग्ध सुरभित
कण कण में देवी विराजीं।

शक्ति की उपासना
मंत्र -मंत्र  जागृति
चेतना मिसाल जली
भक्ति लगन लागी।

पाप- दोष दूर हुए
अहं -ईर्ष्या  भागी
मैं और तुम एक ही हैं
सरस जगत लागी ।

आस्था की डोर
बच्चों की शोर
जगमग जहान हुआ
सुंदर छवि  लागी

Monday, 13 February 2017

बसंत

आम बौरा  गया
फूले सरसों के फूल
प्रकृति को पीली चूनर ओढा
पलाश का आकाश बना
कल्पना की डोली सजा
न जाने कहाँ कहाँ ले जाती
नव पल्लव नव रंग के फूल
स्वागत को तैयार
बान्दना बना
कोयल की तान सुना
मन को आत्मविभोर कर देती
बरबस मन बावरा हो जाता
सचमुच  बसंत  आ गया ।

Saturday, 21 January 2017

आईना

किस तरह खुद को कोई  मनाता है।
आहट जरा सी हो तो जाग जाता है ।
हरेक लम्हा इतना पीछे चला जाता है
कि लौटने कई साल बीत जाता है ।
हवा भी खूब शरारत करे  करीब  आकर
सपन है या फिर  हकीकत समझ न आता है ।
गौर से देखती हूँ खुद को जब
दिल में सोया हुआ अरमान जाग जाता है ।
खूबसूरत लगे मेरा साया
अक्श में आईना साफ नजर आता है ।