Thursday, 2 November 2017

चाँद

उतरा  गगन में  चाँद अपने  शबाब में
धरती भी झूमती है इसे देख  अदा में ।
लहरें भी  उफनती हुई अम्बर को छू रही
साकी नशे में  झूमे  जैसे  मयकदा में ।
सबकुछ है स्निग्ध शांत नहीं भी कहीं  हलचल
बस दिल नहीं  है बस में खयाल- ए-जहाँ  में ।
चंदा को  देख  चांदनी इतरा रही है  आज
पूनम की  रात  छा गई  है आसमान में ।
है दाग चाँद में मगर पूनम का साथ है
मिलकर चमक रहे हैं दोनों  याराना में ।

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