उतरा गगन में चाँद अपने शबाब में
धरती भी झूमती है इसे देख अदा में ।
लहरें भी उफनती हुई अम्बर को छू रही
साकी नशे में झूमे जैसे मयकदा में ।
सबकुछ है स्निग्ध शांत नहीं भी कहीं हलचल
बस दिल नहीं है बस में खयाल- ए-जहाँ में ।
चंदा को देख चांदनी इतरा रही है आज
पूनम की रात छा गई है आसमान में ।
है दाग चाँद में मगर पूनम का साथ है
मिलकर चमक रहे हैं दोनों याराना में ।
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