मुझको मेरे नाम बुलाये
नाम बुला कर याद दिलाये
बचपन में मुझको ले जाए
साथी मेरा वो कहलाए।
अमिया इमली स्वाद चखाए
नदिया ताल पहाड़ घुमाए
पेड़ की ऊॅची डाल चढ़ जाए
जामुन बेर नीचे टपकाए
साथी मेरा वो कहलाए।
लड़कर भी जो चैन नहीं पाए
तीखी वाणी से बेधते जाए
पर नजरें मुझपर ही जमाये
मान भी जाओ बोल न पाए
साथी मेरा वो कहलाए।
बुरे वक्त का सच्चा साथी
झूठ को सच में बदले साथी
भाग्यवान ही साथी पाए
साथ रहेंगे सदा कहता जाए
साथी मेरा वो कहलाए।
सुख में वो संग में इतराए
रूत बदले पर वो संग आए
दोस्त बन दीपक जलाए
अंधियारा को वो मिटाये
साथी मेरा वो कहलाए।
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