बज रहे नगाड़े ढोल
मन हुआ अनुरागी
शांत स्निग्ध सुरभित
कण कण में देवी विराजीं।
शक्ति की उपासना
मंत्र -मंत्र जागृति
चेतना मिसाल जली
भक्ति लगन लागी।
पाप- दोष दूर हुए
अहं -ईर्ष्या भागी
मैं और तुम एक ही हैं
सरस जगत लागी ।
आस्था की डोर
बच्चों की शोर
जगमग जहान हुआ
सुंदर छवि लागी
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