सारी दुनिया तुम और हम
वादा किया बराबर हम
साथ चलेंगे तुम और हम।।
देह का नाता पहले आया
नेह पगा मन महल बनाया।।
खटपट-अनबन बातें बंद
गायब हो गये श्रृंगार के छंद।।
टूटे वादे सारे वचन
इसके कारक तुम और हम।।
घर का मतलब कहीं खो गया
जीवन अपना जहर हो गया
पांत का भोजन गायब पाया
एकाकी जीवन अब आया।।
कहाँ गया वह स्वप्न सलोना
जिसमें थे बस तुम और हम।।
तू और तू बस तेरा वचन
मैं हूँ मुझमें कहता है मन
यही मिजाज कराता अनबन
रिसता घाव बन जाता जीवन।।
नरक द्वार को खोला जिसने
कर्ता इसके तुम और हम।।
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