दिए जल रहे हैं हरतरफ हरगली में
एक रावण मर गया है एक अभी बाकी है
हम ख़ुशी में डूबे हैं देखता है कोई रावण
कर दिया खुशियों को खाक जान केवल बाकी है ।
समन्दर के किनारे बैठकर लहरों को ना देखा
है खारे पानी सा जमीर , मोहब्बत इनमें बाकी है।
वतन के नाम पर हर दिन गुनाह करते हैं
वतनपरस्ती का नाम लेते हैं आदाब इनमें बाकी है।
अन्त होना है इकदिन भूल जाते हैं काफिर
राम जन्म तब तक होगा जब तक रावण बाकी है।
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