Wednesday, 29 October 2014

meri astha

आस्था  का पर्व है यह 
सूर्य को मन से समर्पित ,
फूल  फल, नारियल  समर्पित 
दूध या फिर जल है अर्पित, 
भावना से प्रेरणा से 
कष्ट या फिर अर्चना से 
बस तेरी अरदास में मन 
तू मेरा भगवान है सुन 
निर्जला तुमको मै  पूजूं ,
जलनिधि में हो खड़ी 
कोई माने  या न माने 
बात तेरी है बड़ी ,
तू करे जिसपर कृपा 
जीवन सफल हो जाये उसका ,
हे प्रभु ! मेरा मन समर्पित ,
 तन समर्पित धन समर्पित,
मेरा ये जीवन समर्पित.।  


 

Tuesday, 21 October 2014

रावण

दिए जल रहे हैं हरतरफ हरगली में 
एक रावण मर गया है एक अभी बाकी  है

हम ख़ुशी में डूबे हैं देखता है कोई रावण 
कर दिया खुशियों को खाक जान केवल बाकी है ।
समन्दर के किनारे बैठकर लहरों को ना देखा
है खारे पानी सा जमीर , मोहब्बत इनमें बाकी है। 
वतन के नाम पर हर दिन गुनाह करते हैं 
वतनपरस्ती का नाम लेते हैं आदाब इनमें बाकी है।
अन्त होना है इकदिन भूल जाते हैं काफिर
राम जन्म तब तक होगा जब तक रावण बाकी है।