भोजपुरी माटी के अमर सपूत मा0 जनेश्वर मिश्र जी के धरती पर श्री अवधेश तिवारी जी के घरे एगो कलम के चित्रकार के जनम भइल जेकर रंगमंच कबहुं कोर्ट बनल त कभो कागज आ कलम। पहिलका किताबे कवि जी के पहिलका डेग भले ही बा पर एही में सब विषय के समेट के आपन डेग के छाप अइसन छोड़ले बानी कि सबरंग रच गईल। ई सब देख के कवि अशोक कुमार तिवारी जी के सुंदर लेखनी के भविष्य साफ हो जाता।
' पहिलका डेग' नाम से ही साफ पता चलताऽ कि कवनो रसिकानंद के पहिल पहिल परोसल कुछ होई। हँ! त अशोक कुमार तिवारी जी के पहीलका काव्य संग्रह ह ई।सताइस कविता के पहिलका डेग में कवि समेट के सिरजन संसार के सब रूप देखवले बानी।
काव्य परम्परा के निरवहन करत कवि जी के आपन पहिलका रचना भगवान के आगे आशीर्वाद के खातिर लिखल मंगलाचरण बा।देश के महानता, गरीबी, सामाजिक कुरीति, चेतावनी, समय के महत्व, भोजपुरी भाषा के मिठास, बोली के विविधता, तथा सम सामयिक शौचालय, दूष्कर्म, पुरनका खेल आ नवका जुग के बदलाव से गाँव के छवि के छोट भइला के दुख आदि विषय के शामिल कइल गईल बा।
अशोक कुमार तिवारी जी के ई पहिलका डेग उनकरा कला के बारे इहे कहता कि पुत के पाँव पलनवे में बुझा जाला। आज के बदलत परिवेश में निमन-बाउर दुनो विचार राउर लउकता।राउर सोच साँच के एकदम लगे बूझाता।
कविता संग्रह में कविता के विविध रूप लउकता।गीत, गजल, भजन, कुंडलिया,हाइकु,सेनस्यू, दोहा के रूप में लिखल बा।
लुंड़ा,चिरउरी,सउरी, मथानी आ नेनुआ के झीखुर आदि शब्द भोजपुरी भाषा के गरब रचऽता।
अइसे त रउरा लड़काईंये से कविता के रसिक बानी।बाकिर राउर कलमिया नवका पीढियन के बदलल रूप आ इस्टाइल के भी 'गाँव होई नापाता' में जे तउल कइल गईल बा , बड़ सुंदर बखान बा।ओका- बोका के चिऊंटा मामा, घुघुआ मामा, छुतुड़ी, गुली डंटा, लंगड़ी बिछिया, कितकितवा आदि पारंपरिक खेल भी राउर बिषय बा।गरीबी के दरद के जाड़ा आवे से पहीलहीं तईयारी के सपना के अपना बेटा के धीर धरावत एगो बाप के बड़ सुंदर पीर बाँचल गइल बा। कवि जी बाढ के कारण गंगा के लहरीये से उनकरा खउलला के कारण जाने के चाहत बाड़न । आदमी के बोली से जे ऊंच-नीच हो जाला इहो विषय पर चर्चा कइले बानी।
कुल मिला के कहल जा सकेला कि समाज के कवनो अंग अशोक जी सेबाकी नइखे। मोबाइल के बारे में वर्तमान समय के स्थिति पर भी खूब सुंदर विचार बा।
बाकिर एक बात कहे के चाहत बानी कि आपन बात कहे खातिर अशोक जी कविता के नियम भा सौंदर्य के भी नकरले बानी। कहीं हिन्दी भाषा के मेल करके आपन कविता के गति देवे के कोशिश कइले बानी त कही भोजपुरी में रूढ शब्द भी जुड़ल। मोबाइल फोन एकर बड़का उदाहरण बा।
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