Saturday, 30 September 2017

आस्था

बज रहे नगाड़े ढोल
मन हुआ  अनुरागी
शांत स्निग्ध सुरभित
कण कण में देवी विराजीं।

शक्ति की उपासना
मंत्र -मंत्र  जागृति
चेतना मिसाल जली
भक्ति लगन लागी।

पाप- दोष दूर हुए
अहं -ईर्ष्या  भागी
मैं और तुम एक ही हैं
सरस जगत लागी ।

आस्था की डोर
बच्चों की शोर
जगमग जहान हुआ
सुंदर छवि  लागी