उगत सुरूज लाल भइले चलु अरग दियाय ।
छठिया बरत पूर भइले चलु अरग दियाय ।।
होत भिनसार गंगा पइसी कइनी गंगा असनान।
लौकी आ भात पकइनी खरना कइनी बिहान॥
दिनभर ठेकुआ पकइनी सांझे अरग दियाय।
हाथ गिर जोड़ीले दीनानाथ हम तोहरे दुआर॥
भूल चुक क्षमा करू दीनानाथ मांगी अचरा पसार।
मनसा पुरहु मोर दीनानाथ महिमा अपरम्पार ॥
नइहर भाई रे भतीजवा घरे वंश हमार
राउर किरिपा हे दीनानाथ मांगी अचरा पसारने
उगत ...........
Tuesday, 1 November 2016
छठ
Friday, 28 October 2016
यम का दीपक
जलते हुए दीपक ने कहा
जलुं मै अकेले यम के लिए
दिशा भी अकेली खड़ी राह में
अाज यम का स्वागत करने के लिए ।
घने अन्धकार में प्रकाश फैलाते
रहगुजर को राह दिखाते हुए
अपशकुन मिटाने का एक लेख बनकर
एक दिया ही काफी है राम मार्ग का विघ्न हरने के लिए।
लक्ष्मी -गणेश पूजन का शुभारम्भ
तरह तरह के टोटके
जुअा खेलेंगे भले ही हार का हो सामना
रातभर खोल दरवाजे, लक्ष्मी के आने का इन्तजार
ब्रह्ममुहुर्त में दलिदर भगाना
रात्रि जागरण कर कुबेर को मनाएंगे।
राम आएंगे फिर
चहुँ दिशि करोड़ों दिये जगमगाएंगे ।
लटकने,बान्दना बना अल्पना से घर सजाएंगे
खुशियों के गीत गाएंगे
दीपावली मनाएंगे
राम आएँगे
सुखद जीवन का वरदान देने
हर बरस,हर घर ,हर दिल में
जो खुशियाँ बांटना जानता है।
इसलिए हम भी विघ्न मिटाने के लिए
अकेले ही चलेंगे
क्योंकि खुशियाँ बांटने हमें आता है।
Saturday, 1 October 2016
पल भर की यादें
मेरे अपने कभी अल्फाज़ ऐसे कहते हैं
कि एक-एक शब्द से अातिश सा शोर होता है।
दिल की तमन्ना है कि घर में दिया एक जले
बाती जलती है तो धुआँ ज़रूर होता है।
गर हसरतें ख्वाब हो जाए, धरा आकाश हो जाए
अज़ाब पाकर भी उल्लास नजर आता है।
एक उजाला ही मुकम्मल है जिन्दगी के लिए
अांच की लौ में भी आफताब नजर अाता है।