जलते हुए दीपक ने कहा
जलुं मै अकेले यम के लिए
दिशा भी अकेली खड़ी राह में
अाज यम का स्वागत करने के लिए ।
घने अन्धकार में प्रकाश फैलाते
रहगुजर को राह दिखाते हुए
अपशकुन मिटाने का एक लेख बनकर
एक दिया ही काफी है राम मार्ग का विघ्न हरने के लिए।
लक्ष्मी -गणेश पूजन का शुभारम्भ
तरह तरह के टोटके
जुअा खेलेंगे भले ही हार का हो सामना
रातभर खोल दरवाजे, लक्ष्मी के आने का इन्तजार
ब्रह्ममुहुर्त में दलिदर भगाना
रात्रि जागरण कर कुबेर को मनाएंगे।
राम आएंगे फिर
चहुँ दिशि करोड़ों दिये जगमगाएंगे ।
लटकने,बान्दना बना अल्पना से घर सजाएंगे
खुशियों के गीत गाएंगे
दीपावली मनाएंगे
राम आएँगे
सुखद जीवन का वरदान देने
हर बरस,हर घर ,हर दिल में
जो खुशियाँ बांटना जानता है।
इसलिए हम भी विघ्न मिटाने के लिए
अकेले ही चलेंगे
क्योंकि खुशियाँ बांटने हमें आता है।
Friday, 28 October 2016
यम का दीपक
Saturday, 1 October 2016
पल भर की यादें
मेरे अपने कभी अल्फाज़ ऐसे कहते हैं
कि एक-एक शब्द से अातिश सा शोर होता है।
दिल की तमन्ना है कि घर में दिया एक जले
बाती जलती है तो धुआँ ज़रूर होता है।
गर हसरतें ख्वाब हो जाए, धरा आकाश हो जाए
अज़ाब पाकर भी उल्लास नजर आता है।
एक उजाला ही मुकम्मल है जिन्दगी के लिए
अांच की लौ में भी आफताब नजर अाता है।
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