सुरमई शाम है पर तुम नहीं हो
काली घटा है झूम रही पर तुम नहीं हो
हवा जो आई तो लगा तुम आये
एक झोंका था ख्यालों का ,पर तुम नहीं हो
बादलों के गरज में ढूँढू तुम्हें ,
साया था सन्नाटों का पर तुम नहीं हो
लौटती चिड़ियों ने एक आस जग दी मन में
रात भी ढल गयी यादों में ,पर तुम नहीं हो
चाँद आकर के मुझे रोज़ रुलाता है यूँ ही
दिल के अरमान भी जगे है मेरे ,तुम नहीं हो